वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट) व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद काग़ज़ की एक पर्ची बनती है, इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है, यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके, ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है | भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिज़ायन की थी | सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए | चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया किया अगले चुनाव यानी साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा |